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ज़िन्दगी की कलम से: प्रेरणादायक कविताएँ

यह पोस्ट कवि किशोर चौहान द्वारा लिखी गई चुनिंदा कविताओं और ग़ज़लों का एक विशेष संग्रह है, जो जीवन, प्रेम, संघर्ष, अकेलापन, स्मृतियाँ, और नारी सम्मान जैसे विविध और गहरे विषयों को छूता है। इन रचनाओं में भावनाओं की सच्चाई, शब्दों की सादगी और सोच की गहराई एक साथ देखने को मिलती है। हर कविता जीवन के किसी न किसी पहलू को दर्शाती है — कभी वह जीवन को एक खुली किताब बताती है, तो कभी बीते हुए रिश्तों की टीस को उजागर करती है।

किशोर चौहान की शैली सरल, प्रभावशाली और दिल को छू लेने वाली है। उनकी कविताएं पाठक को न केवल सोचने पर मजबूर करती हैं, बल्कि भावनाओं से जोड़कर एक आत्मिक जुड़ाव भी बनाती हैं। चाहे वह "अकेलेपन की आग" जैसी संवेदनशील रचना हो या "लड़की – हर रिश्ते की पहचान" जैसी समाज को जागरूक करने वाली कविता — हर एक रचना में एक विशेष संदेश छिपा हुआ है।

यह संग्रह उन सभी के लिए प्रेरणास्रोत है जो जीवन में भावनाओं को समझना और व्यक्त करना चाहते हैं। यह पोस्ट न सिर्फ एक साहित्यिक अनुभव है, बल्कि दिल की गहराईयों को छूने वाला सफर भी है। किशोर चौहान की कविताएं आज के युवाओं और भावनात्मक पाठकों के लिए एक दर्पण हैं — जिसमें वे खुद को खोज सकते हैं।

📖 1. ज़िन्दगी – एक नई किताब

यह कविता जीवन को एक खुली किताब की तरह दर्शाती है जिसमें हर पन्ना एक नई शुरुआत है। इसमें सफलता, असफलता, रिश्ते और भावनाएं शामिल हैं। किशोर चौहान ने बड़ी ही सहजता से जीवन के उतार-चढ़ाव को एक प्रेरणादायक रूप में प्रस्तुत किया है।

ज़िन्दगी नई किताब है

ये ज़िन्दगी का नया पथ है
जैसे किताब का नया पृष्ठ है
इसी में सफलता, विफलता, गम है

इसमें मैं ,तुम ,और हम है
इसमें लिखा ज़िन्दगी का नया हिसाब है

ज़िन्दगी नई किताब है

- किशोर चौहान

💔 2. जब यादें सताती हैं

यह कविता उस दर्द को बयां करती है जब किसी अपने की यादें हर जगह पीछा करती हैं—सपनों में, बातों में, गानों में। यह प्रेम और विरह की भावनाओं से जुड़ी हुई एक संवेदनशील और दिल को छू जाने वाली रचना है।

जब सपनो में भी याद वो जब आते है
हम वहा भी सहम जाते है।

जब ख़ुशी से गानों में जब प्यार गाते है
हम वहा भी सहम जाते है।

जब बातो में भी लोग उनकी बात लाते है
हम वहा भी सहम जाते है ।

जब कविताओं में उनको लिखना चाहते हैं
खैर छोड़ो हम यहा भी सहम जाते है।

- किशोर चौहान

✍️ 3. ग़ज़ल-ए-प्यार और संघर्ष

इस ग़ज़ल में प्रेम, पीड़ा और नफरत से होते हुए सफलता तक की यात्रा दिखाई गई है। कवि अपने जीवन के अनुभवों को खूबसूरत शब्दों में पिरोकर उन्हें अमर बना देता है। यह रचना आत्म-संघर्ष और भावनात्मक परिपक्वता का सुंदर उदाहरण है।

कुछ ऐसा ख़ास बहुत गज़ब लिखूंगा मैं
आज बैठ कर एक नई ग़ज़ल लिखूंगा मैं

वो आए थे ,एक रोज जब बैठे थे पास मेरे
प्यार से उस प्यार का एक पल लिखूंगा मैं

वो गुस्सा, वो ग़म, वो नफ़रत उससे बढ़ गयी मेरी
उस नफ़रत से प्यार तक का हल लिखूंगा मैं

उसकी बातें भी क्या करनी जो, अब साथ नही मेरे
प्यार को अब और कितना मुकम्मल लिखूंगा मैं

वो फूल ,वो पेड़ ,वो प्यार नही रहा जो साथ मेरे
तो अब उम्मीदों का जला हुआ जंगल लिखूंगा मैं

सफ़लता ही प्रेम है सच कहते थे कुछ दोस्त मेरे
अब उसी बड़े मुकाम वाला एक कल लिखूंगा मैं

कुछ आयी है जब से गरीबी प्यार में अब मेरे
पर तुम्हारे लिए प्यार का महल लिखूंगा मैं 

- किशोर चौहान

"खिले हुए फूलों और हल्की सुनहरी रोशनी के बीच एक प्रेमभरा दृश्य, जहाँ एक जोड़ा साथ खड़ा है। बैकग्राउंड में सुंदर फूलों के बीच लिखा है – 'प्यार कुछ ऐसा इज़हार होगा अब, उसे देंगे फूल रंग उसका होगा अब – किशोर चौहान'।"

🌹 4. इज़हार-ए-प्यार

यह छोटी लेकिन अर्थपूर्ण कविता प्रेम को फूलों और रंगों के माध्यम से प्रकट करने की बात करती है। एक सरल इज़हार, जिसमें भावनाएं शब्दों से ज़्यादा बोलती हैं। किशोर चौहान का यह इज़हार बेहद कोमल और सुंदर है।

प्यार कुछ ऐसा इज़हार होगा अब
उसे देंगे फूल रंग उसका होगा अब

- किशोर चौहान

"एक प्रेमी जोड़ा खिले हुए फूलों के बीच खड़ा है, सुनहरी धूप में। पृष्ठभूमि में गुलाब और रंग-बिरंगे फूलों के साथ एक रोमांटिक माहौल है। ऊपर लिखा है: 'प्यार कुछ ऐसा इज़हार होगा अब, उसे देंगे फूल रंग उसका होगा अब – किशोर चौहान'।"

🎶 5. क्या धुन साथ देगी?

प्यार और यादों को संगीत की धुनों से जोड़ती यह कविता बेहद भावनात्मक है। कवि सोचता है कि क्या उन मीठी यादों की सरगम हमेशा साथ देगी या सिर्फ दर्द बनकर रह जाएगी। यह रचना दिल को छू लेने वाली और गहराई से भरी हुई है।

कोई धुन जो मैं गाऊँ सरगम साथ देगी क्या
तेरे प्यार की यादे हरदम साथ देगी क्या
प्यार दिल की ये जमी न जाए कभी सुख
वो प्यार के बादल से बरसात देगी क्या ?

- किशोर चौहान

🕯️ 6. अकेलेपन की आग

यह कविता मानसिक अकेलेपन और अंदरूनी संघर्ष को बेहद तीव्रता से दर्शाती है। जब सपने टूटते हैं, अपने दूर हो जाते हैं, और गम साथ नहीं देता—तब मन कैसे झुलसता है, यही भाव इस कविता में उजागर होता है। यह एक संवेदनशील और गंभीर अभिव्यक्ति है।

सपनो को खटकते पाया
अपनो को दूर हटते पाया
 
गम को न कोई साथ आया
रहने को न बचा किराया
 
मन ही मन पूरा सहमया
गहन अग्नि में गरमाया
 
अकेलेपन में खुद को जलाया
दोस्तो को ना दुःख बताया
 
पूर्ण अंधकार सा छाया
अन्तःत शव सा लटकते पाया 

 - किशोर चौहान

👧 7. लड़की – हर रिश्ते की पहचान

यह कविता नारी के हर रूप को समर्पित है—बेटी, बहन, पत्नी, सखी और प्रेमिका। कवि ने दर्शाया है कि हर रिश्ते की गरिमा एक लड़की से ही है। यह रचना नारी सम्मान और उसकी अहमियत को बखूबी उजागर करती है।

सपने सुहाने लड़कपन से लगाकर
देश न आना लाडो तक की कहानी है

माँ का दुलार एक लड़की से ,
पिता की शान एक लड़की से,
घर का मान एक लडकी से,
भाई की राखी एक लड़की से,
बहन की सखी एक लड़की से,
पति का प्यार एक लड़की से,
आशिक की जान एक लड़की से,
ओर मेरे घर की शान भी एक लड़की से

- किशोर चौहान
 

🎭 8. प्रतिभा और प्रेरणा – आयुष्मान खुराना

यह प्रेरणादायक कविता बहुप्रतिभाशाली कलाकार आयुष्मान खुराना को समर्पित है। यह युवाओं को अपने सपनों के पीछे भागने, हार से न डरने और मेहनत से सफलता पाने की सीख देती है। आयुष्मान को एक आदर्श और प्रेरणास्त्रोत के रूप में दर्शाया गया है।

कविता,
गीत,
अभिनय,
प्रतिभा का जमाना देखों
हारते नही, हीरो
तुम आयुष्मान खुराना देखो
आज देखों
कल देखों
किस्सा कोई पुराना देखों
हारते नही ,हीरो
तुम आयुष्मान खुराना देखों
सपना देखों
जीत देखों
हार को तुम हराना देखों
तुम आयुष्मान खुराना देखों

- किशोर चौहान
 

📝 9. वो लिखने वाले – साहित्य के हीरो

यह कविता उस शायर या लेखक को समर्पित है जो कम शब्दों में बड़ी भावनाएं व्यक्त करता था। साहित्य और कला के उस कोहिनूर को श्रद्धांजलि देती यह रचना उनके गहरे लेखन और संवेदनशील सोच की मिसाल है।

सब खास लिखते थे वो
सब बात लिखते थे वो

कम शब्दों में सारे जज़्बात लिखते थे वो
शेरो-शायरी के कोहिनूर दिखते थे वो
साहित्य कला के हीरो के ज़ोहरी थे वो
सबको अपना लिखने वाले

- किशोर चौहान
 

🧠 10. दिल को नहीं मालूम

यह कविता दिल की उलझनों, दर्द और भावनात्मक असमंजस को बयां करती है। जब शब्द नहीं मिलते, सपने टूट जाते हैं, और सच्चाई तंग करती है—तब दिल क्या करे? यही बेचैनी और चुप्पी इस संवेदनशील कविता में दर्शाई गई है।

कुछ लिखू ,क्या लिखूं ?
इस गम कैसे पालू मैं
दिल को नहीं मालूम है

सपनो के घर मैं
घर से उन प्यार के महल में
अब वास्तविकता के
ये टूटे खंडहर कैसे संभालू मैं
दिल को नहीं मालूम है

कुछ शब्द कैसे?
जिंदगी की किताब क्या,
लिख कर सब बता लू मैं
दिल को नहीं मालूम है

-किशोर चौहान

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