🌿 प्रकृति, पर्यावरण और किसानों का संघर्ष: एक कड़वी सच्चाई
प्रकृति की गोद में पला हमारा जीवन आज एक गहरे संकट से गुजर रहा है। हमने हिमालय की ऊँचाइयाँ देखीं, नदियों की गहराई महसूस की, जंगलों की हरियाली को निहारा, लेकिन अब वही प्रकृति विनाश की ओर बढ़ रही है। ग्लोबल वार्मिंग, वनों की कटाई, और प्रदूषण ने हमारे पर्यावरण को कमजोर कर दिया है। पिघलते ग्लेशियर, मरते जंगल और बिगड़ता मौसम चिल्ला-चिल्लाकर हमें चेतावनी दे रहे हैं कि अगर हमने अब भी जागरूकता नहीं दिखाई, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए यह धरती एक भयावह स्थान बन जाएगी।इसी धरती को सींचने और हमें भोजन देने वाला किसान भी आज संघर्षों में घिरा हुआ है। खेतों में पसीना बहाने वाले अन्नदाता को उसकी मेहनत का सही मूल्य नहीं मिलता। कभी सूखा, कभी बाढ़, तो कभी बाजार की मार – हर ओर से किसान पर संकट छाया हुआ है। नए दौर की दुनियादारी में उसकी फसल का मोल सही नहीं लगाया जाता, ठीक वैसे ही जैसे साहित्य और शायरी की गहराई को समझने वाले कम होते जा रहे हैं।
यह कविता सिर्फ शब्दों का मेल नहीं, बल्कि पर्यावरण और किसानों के दर्द की गूंज है – एक आवाज़, जो हमें सोचने और बदलने के लिए प्रेरित करती है।
🌿 प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण 🌍
हमने फूलों की खुशबू से लेकर केसर क्यारी देखी है,
इस धरती की हमने सब बातें प्यारी-प्यारी देखी हैं।
देखो हमने देखी है हिम शिखर की ऊँचाई,
देखो हमने देखी है जो ताल तले जो गहराई।
-किशोर चौहान
इस धरती की हमने सब बातें प्यारी-प्यारी देखी हैं।
देखो हमने देखी है हिम शिखर की ऊँचाई,
देखो हमने देखी है जो ताल तले जो गहराई।
-किशोर चौहान
🌿 प्राकृतिक सुंदरता और जलवायु परिवर्तन
जब से देखा है प्रकृति का रूप नया,
देखो हमने देखा है मरता हुआ जंगल यहाँ।
देखो हमने देखा है अंधकार सा भविष्य जहाँ,
देखो हमने देखा है न बच पाएंगे मनुष्य यहाँ।
-किशोर चौहान
देखो हमने देखा है मरता हुआ जंगल यहाँ।
देखो हमने देखा है अंधकार सा भविष्य जहाँ,
देखो हमने देखा है न बच पाएंगे मनुष्य यहाँ।
-किशोर चौहान
🌎 धरती का बदलता स्वरूप – एक चेतावनी
गलता-गलता हिम शिखर हर बार दिखाई देता है,मरता-मरता कुछ जीवन इस बार दिखाई देता है।
पर्यावरण के हृदय में जैसे एक छेद दिखाई देता है,
पल-पल मरते आवरण का एक भेद दिखाई देता है।
-किशोर चौहान
🔥 जलवायु परिवर्तन की भयावहता
मंद-मंद सी ये हवाएं तूफानों में बदल गईं,एक हमारी जैसे धरती धूप के नीचे जल गई।
-किशोर चौहान
👉 क्या हमें नहीं चाहिए एक मंच जो सच दिखाए? 👈
एक ऐसा भी मंच मिले, आवाज उठाने वाला हो,
मौत राह में खड़ी है, देखो यह सच दिखाने वाला हो।
-किशोर चौहान
-किशोर चौहान
🌏 पर्यावरण संकट: क्या हमने ही अपना विनाश किया?
इस आवरण में रह कर अब तक हमने जीवन पार किया,हमने ही इसको रोद्दा है जैसे नरसंहार किया।
-किशोर चौहान
🌾 किसानों का संघर्ष और धरती का दर्द
सर्द दिनों में भी एक किसान फसलें उगाता,एक सैनिक सा खेत में वह नज़र आता है।
-किशोर चौहान
कृषि का महत्व और किसान की मेहनत
कंधों पर बोझ, हाथों पर गहरे निशान हैं,सपनों को ज़मीन से उगाने वाले किसान हैं।
-किशोर चौहान
मेहनत से फसल उगाते किसान: सृष्टि में जीवन के सृजनहार
मेहनत से फसलों को लगाते हैमानो सृष्टि में जीवन उगाते है
खेत ,वो पानी ,जवानी इनकी महान है
सपनो को जमीन से उगाने वाले किसान है
-किशोर चौहान
किसानों का संघर्ष और योगदान: देश की रीढ़ बनाने वाले अन्नदाता
ऊंचे ऊंचे जवानों के लिए लिखा जाएजीवन बचाते है किसानों के लिए लिखा जाए
किरदार कुछ ऐसे महानों के लिए लिखा जाए
जीवन उगाते है किसानों के लिए लिखा जाए
संघर्ष है कठिन कामों के लिए लिखा जाए
जीवन सच बनाते है किसानों के लिए लिखा जाए
जब जब ऊंचे नामों के लिए लिखा जाए
जीवन कमाने है किसानों के लिए लिखा जाए
-किशोर चौहान
किसान: कविता का नायक, अन्नदाता का संघर्ष
भूमि पर लिखी कविता भूख नही मिटा सकतीमेरा लिख पाना कविता काम नही आया
अतः अब मैं
कविता लिखता हूँ
अब किसान के लिए
की वो चला सकें हल
बना सकें फ़सल
वो लहरती फ़सल ही है मेरी कविता
वो किसान है कविता का नायक
-किशोर चौहान
नए दौर में किसान और शायर दोनों बेकीमत
नए दौर की दुनियादारी मेंकिसानों की फसलों का
शायरो की ग़ज़लों का
कोई सही दाम दे नहीं पाया
-किशोर चौहान
सच्चाई और न्याय की पुकार
तुम भी बोलो सच अब, जिव्हा नहीं काटी जाती,कर्ज-तर्ज पर उस किसान की भूमि नहीं बांटी जाती।
-किशोर चौहान
🌿 क्या हम अपनी धरती और किसानों के दर्द को समझ पा रहे हैं? 🌾
हमारी प्रकृति संकट में है, हमारे किसान संघर्ष कर रहे हैं, और हमारा भविष्य अनिश्चित है। अगर हमने अब कदम नहीं उठाए, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए यह दुनिया रहने लायक नहीं रहेगी।👉 क्या आपको लगता है कि किसानों को उनका हक मिल रहा है?
👉 क्या जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण पर हमें अधिक ध्यान देने की ज़रूरत है?
💬 अपने विचार कमेंट में बताएं!
🔄 इस संदेश को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें, ताकि हर कोई इस सच्चाई को समझ सके!
❤️ अगर आप किसानों और पर्यावरण की चिंता करते हैं, तो इस पोस्ट को लाइक करें!
🌐 हमारी वेबसाइट पर विज़िट करें और अपने पसंदीदा साहित्यिक रचनाओं का आनंद लें!
- राष्ट्रीय युवा दिवस शुभकामनाएँ – स्वामी विवेकानंद के विचारों से प्रेरणा
- मित्रता पर शायरी – सच्ची दोस्ती के अनमोल रिश्ते का जश्न 🤝✨
- नए साल की शुभकामनाएँ शायरी – दिसंबर कोट्स
कॉपीराइट नोटिस 📜
इस कविता और सामग्री के सभी अधिकार किशोर चौहान के पास सुरक्षित हैं।इस लेख कविता को बिना अनुमति कॉपी, पुनः प्रकाशित, या संशोधित करना कानूनी रूप से प्रतिबंधित है।
यदि आप इस सामग्री का उपयोग करना चाहते हैं, तो कृपया उचित श्रेय दें और लेखक की अनुमति लें।
© All Rights Reserved | Shabdsahity
0 Comments